The 5-Second Trick For वैष्णव धर्म
The Bhagavad Gita is often a dialogue among Krishna and Arjuna, and provides Bhakti, Jnana and Karma yoga as alternate methods to spiritual liberation, with the selection remaining to the individual.[152] The text discusses dharma, and its pursuit as obligation devoid of craving for fruits of one's actions, being a form of spiritual route to liberation.
निम्बार्क वैष्णव ( निम्बार्काचार्यअन्तर्गत )
वैष्णव धर्म के सिद्धांत इतिहासप्राचीन भारत वैष्णव धर्म के सिद्धांत
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The Bhagavata Purana's references into the South Indian Alvar saints, in addition to its emphasis on bhakti, have led several scholars to give it South Indian origins, nevertheless some Students concern regardless of whether this evidence excludes the possibility that bhakti movement had parallel developments in other aspects of India.[213][214]
बरकारी सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे – नामदेव
[a hundred seventy five] Rama's spouse Sita, his brother Lakshman, together with his devotee and follower Hanuman all Engage in vital roles throughout the Vaishnava custom as samples of Vaishnava etiquette and conduct. Ravana, the evil king and villain on the epic, is offered as an epitome of adharma, participating in the opposite role of how to not behave.[176]
प्राचीन भारत में वैष्णव धर्म की उत्पत्ति एवं विकास
श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे – रामानुज
दसवीं से तेरहवीं-चौदहवीं शती तक इस प्रकार भक्ति का आन्दोलन दक्षिण में शास्त्रीय रूप धारण करके तथा आध्यात्मिक पक्ष में दृढ़ होकर पुन: उत्तर की ओर आया और चौदहवीं शताब्दी से उन्नीसवीं शताब्दी तक प्रबल वेग के साथ देश के विस्तृत भूभाग में महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, मध्यदेश, मगध, उत्कल, असम और वंगदेश में फैलकर व्यापक लोकधर्म बन गया। उत्तर भारत में इसका नवीन रूप में प्रचार करने वाले सबसे प्रथम और सबसे अधिक शक्तिशाली स्वामी रामानन्द हुए, जिन्होंने आध्यात्मिक दृष्टि से रामानुज के विशिष्टाद्वैत को ही मानते हुए भक्ति का पृथक् सम्प्रदाय स्थापित किया, जिसमें दाक्षिणात्य श्रीवैष्णवों की तरह स्पर्शास्पर्श के नियम कठोर नहीं थे। लक्ष्मीनारायण के स्थान पर उन्होंने सीताराम को उपास्य देव बनाया। रामानन्दी वैष्णव वैरागी वैष्णव कहे जाते हैं। रामानन्द की दो प्रकार की शिष्य-परम्पराएँ और थीं। एक में निम्न जातियों के लोग थे और दूसरी में सवर्ण लोग। मध्ययुग में भक्ति का प्रचार करने वाले भक्त-कवियों में एक के प्रतिनिधि कबीरदास और दूसरी के तुलसीदास हुए।
कूर्म अथवा कच्छप – जल प्लावन के समय अमृत तथा रत्न आदि समस्त बहुमूल्य पदार्थ समुद्र में विलीन हो गये। विष्णु ने अपने को एक बङे कूर्म (कच्छप) के रूप में अवतरित check here किया तथा समुद्रतल में प्रवेश कर गये। देवताओं ने उनकी पीठ पर मंदराचल पर्वत रखा तथा नागवासुकि को डोरी बनाकर समुद्र मंथन किया। परिणामस्वरूप अमृत तथा लक्ष्मी समेत चौदह रत्नों की प्राप्ति हुयी।
या श्लोकामध्ये बली, बिभीषण, भीष्म, प्रल्हाद, नारद, ध्रुव हे सहा वैष्णव असल्याचे सांगितले आहे.
दूसरे परियोजनाओं में पठन सेटिंग्स
वैष्णव पंथ मध्ये अनेक उप-संप्रदाय आहेत. प्रमाणे: श्रीवैष्णव ,बैरागी, दास, रामानंद, वल्लभ, निंबार्क , माधव, राधावल्लभ, सखी आणि गौडीया , रुद्र संप्रदाय